डीएम नान को कुर्सी का मोह, निलंबन के बाद भी जमे बैठे, हाईकोर्ट से लिया स्टे……

किसान को एक साल से नहीं मिला गेहूं का भुगतान, शिकायत पहुंची थी सीएम समाधान केंद्र।
सतना। जिले में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में बैठे जिम्मेदार अधिकारी जनता की समस्याओं की बजाय अपनी कुर्सी से मोह रखते हैं। ताजा मामला जिला प्रबंधक (डीएम) पंकज बोरसे का है, जिन्हें किसान की शिकायत पर निलंबित किया गया, लेकिन उन्होंने निलंबन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी और स्टे ऑर्डर लेकर फिर से पद पर बने हुए हैं।
पूरा मामला रामपुर बाघेलान निवासी किसान रामलाल पटेल से जुड़ा है। किसान ने एक साल पहले गेहूं उपार्जन केन्द्र में अनाज विक्रय किया था, लेकिन भुगतान नहीं मिलने पर उसने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत की। शिकायत सतना जिला कार्यालय, संभागीय कार्यालय होते हुए नान मुख्यालय पहुंची, पर सुनवाई नहीं हुई। अंततः यह मामला ‘सीएम समाधान’ पोर्टल तक पहुंचा, जहां गंभीरता से लेते हुए नान के प्रबंध संचालक अनुराग वर्मा ने डीएम पंकज बोरसे को तत्काल निलंबित कर दिया। लेकिन बोरसे ने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देकर स्टे ले लिया और अब तक कुर्सी पर बने हुए हैं।
स्टे ऑर्डर पर टिकी नौकरी
स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि जिले में भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों के बावजूद अधिकारी स्टे ऑर्डर के सहारे पद पर टिके हुए हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या जवाबदेही की जगह अब सतना में स्टे ऑर्डर ही कामकाज का आधार बन गया है? किसान को आज भी भुगतान नहीं मिला है, वहीं प्रशासनिक चुप्पी और विभागीय उदासीनता सवालों के घेरे में है।
इधर विद्याश्री राइस मिल और मूकमाटी वेयरहाउस संचालक सौरव जैन ने देवास के लिए भेजा गया चावल अपनी मिल में उतरवा लिया था। इस मामले में जिम्मेदार अफसरों ने चुप्पी साध रखी है। ऐसे में विभागीय कार्यप्रणाली और अधिकारियों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। किसानों के हितों और सरकारी धन के दुरुपयोग के बीच सरकार की चुप्पी चिंताजनक है।
