Home मध्यप्रदेश भूखे मजदूरों पर हुआ लाठी चार्ज, उसके बाद की घटना ने प्रशासन के उड़ाए होश… वीडियो भी देखें।

भूखे मजदूरों पर हुआ लाठी चार्ज, उसके बाद की घटना ने प्रशासन के उड़ाए होश… वीडियो भी देखें।

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रीवा: के एमपी यूपी बॉर्डर में श्रमिकों का सब्र का बांध टूट गया है। रविवार देर रात, सड़कों पर उतरे श्रमिको ने NH30 में जाम लगा दिया। बॉर्डर में 5 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिको की भीड़ जमा है। भारी मात्रा में मौके पर पहुची पुलिस ने मजदूरों पर लाठी चार्ज करते हुए जमकर पीटा और स्थिति बेकाबूू हो गई, श्रमिक उत्तर प्रदेश, बॉर्डर पर रोके जाने से नाराज है, प्रशासन की तरफ से भोजन और वाहन की जगह लाठियां मिलने से श्रमिकों का सब्र जवाब दे गया और वह बॉर्डर पर लगे बैरिकेट्स तोड़कर उत्तर प्रदेश में घुस गए।

जानिए पूरा सच…

यह पूरा मामला रीवा मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर एमपी यूपी बॉर्डर चाकघाट का है। ट्रक से जाने पर यूपी गवर्मेन्ट ने रोक लगा दी है। जिसके बाद महाराष्ट्र गुजरात से आ रहे श्रमिको की भारी भीड़ सीमा पर जमा हो चुकी है। इनके भोजन पानी की पर्याप्त व्यवस्था करने में भी प्रशासन नाकाम रहा है। ऐसे में प्रवासी मजदूरों का सब्र टूट गया और प्रवासियों ने प्रयागराज जा रहे वाहनों को रोक सड़क में जाम लगा दिया। इस बीच भीड़ में से कुछ उपद्रवियों ने पुलिस की तरफ पत्थर फेंके और हालात वहीं से बिगड़ गए पुलिस ने प्रवासी मजदूरों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज कर दिया जिससे चारों तरफ भगदड़ मच गई। 

बैरिकेट्स तोड़कर घुसे अंदर….

उत्तर प्रदेश के बॉर्डर चाकघाट में इकट्ठा हुए प्रवासी मजदूर अपने घर जाने की मांग कर रहे उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें बॉर्डर पार करने की अनुमति नहीं दी अब पिछले कुछ दिनों से बॉर्डर पर लोग इकट्ठा होते रहे यह संख्या हजारों में पहुंच गई प्रशासन की तरफ से भोजन और पानी तो पहुंचता रहा था लेकिन वह पर्याप्त नहीं था बड़ी संख्या में लोग भूखे पेट ही रह रहे थे लिहाजा लोगों ने अपनी मांग को गर्मजोशी से उठानी चाहिए और चक्का जाम किया लेकिन घर जाने के लिए वाहन और पेट में रोटी देने की वजह प्रशासन ने डंडे बरसाए लिहाजा प्रशासन से नाखुश लोगों का विश्वास प्रशासन से उठ गया और वे बैरिकेट्स तोड़कर उत्तर प्रदेश में दाखिल हो गए हैं।


पूरे देश में इन दिनों हालात नाजुक स्थिति में है ऐसे में भूखे पेट पैदल चलकर अपने घर जाने वाले लोगों पर प्रशासन का डंडा मानना कतई उचित नहीं था प्रशासन को चाहिए कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचा दे नहीं तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं।

रिपोर्ट- मृदुल पाण्डेय

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